Home hindi poems #35-जीवन संघर्ष
hindi poems

#35-जीवन संघर्ष

कहते हैं कहने वाले कि,
जीवन को संघर्ष न मानो,
बहुत कुछ कर सकते हो,
तुम अपने को पहचानो,
पहचानूं भला कैसे अपने को,
कुछ सुझाया नहीं मुझे,
क्या क्या कर सकता हूं,
किसी ने बाताया नहीं मुझे,
बस कही इक बात कि
बात दिल की मानो
कहते हैं कहने वाले कि,
जीवन को संघर्ष न मानो।

 


–>सम्पूर्ण कविता सूची<–


Hindi Poem on struggling life

Poem on struggling life

Facebook link

बखानी हिन्दी कविता के फेसबुक पेज को पसंद और अनुसरण (Like and follow) जरूर करें । इसके लिये नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें- 

Bakhani, मेरे दिल की आवाज – मेरी कलम collection of Hindi Kavita

Youtube chanel link

Like and subscribe Youtube Chanel 

Bakhani hindi kavita मेरे दिल की आवाज मेरी कलम

Hindi Kavita on struggling life

Kavita on struggling life in hindi 

इस हिन्दी कविता के माध्यम से स्पष्ट करनें का प्रयास किया गया है कि इस दुनिया में जितनी मुह उतनी बातें होती हैं । परन्तु जीवन में संघर्ष का तात्पर्य और सही रूप वही जान पाता है जो वास्तविक संघर्ष कर जीवनयापन करता है। जीवन के विभिन्न पहलुओं में जीवन पर्यन्त विभिन्न प्रकार की यातनाएं मिलती हैं जिनको हर किसी को कभी न कभी किसी रूप में झेलना अवश्य पडता है।



 

Total Page Visits: 1356 - Today Page Visits: 1

Author

jk namdeo

मैं समझ से परे। एकान्त वासी, अनुरागी, ऐकाकी जीवन, जिज्ञासी, मैं समझ से परे। दूजों संग संकोची, पर विश्वासी, कटु वचन संग, मृदुभाषी, मैं समझ से परे। भोगी विलासी, इक सन्यासी, परहित की रखता, इक मंसा सी मैं समझ से परे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Get 30% off your first purchase

X