#41-सुहाना सावन

#41-सुहाना सावन

  • Jun 21, 2019

भौरों की होती गुंजार यहां, चिडियो की चहक निराली है,सूरज की चमक भी मद्दम है, छाई घनघोर छटा निराली है,पुष्पों की महक चिडियों की चहक, भौरों का गुंजार सूरज का चमकता हार,मनमोहक दिल लुभावनी छटा, आनन्दमई शीतल प्रकृति निराली है । भौरों की होती…… हर पल प्रकृति में खोया अकेला, प्रकृति की छटा विलोकता,चिडिया माण्डुलिया खेलती हैं, झींगुर […]

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#40- भागे तो थे

#40- भागे तो थे

  • May 09, 2019

हम तो तन्हा दूर ही थे तुमसे,बस दिल में पास आने के अरमान जागे तो थे,रह गये इतने पीछे हम वक्त,बेवक्त कदम मिलाने को भागे तो थे । बिछड जाने के डर ने जकड रखा था,डर से निकलने को यूं क्या करता अकेला,जीत दिल के डर को भांप कर,समन्दर के उन किनारों को झांके तो […]

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#39-कवि

#39-कवि

  • Apr 09, 2019

शब्दों को पिरोना और गूंथ देना एक माले की तरह । आसां नहीं है इस जग में,यूं शब्दों से छेंड-छांड करना,अनर्गल सी लगती हैं बातें तुरन्त,महंगा पड जाता है यूँ खिलवाड करना,शब्दों से खेलता है कवि ऐसे,फूल गूथते एक माली की तरह,बडा ही आसां लगता है उसे,शब्दों को पिरोना और गूथ देना एक माले की […]

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#38-तो गुस्सा आता है

बडी बडी बातें करनें वालों की बात आगर करता हूँ,तो गुस्सा आता है। देश का किसान हर पल झूल रहा है,जवान शरहद पर जूझ रहा है,इत भीतर बैठ गर कोई अफशोष जताता है,तो गुस्सा आता है। देश का बेटा देश की बेटी देश की शान सब दांव लगा,देश का सीना चीर जूझे किसान सब दांव […]

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#37-राज की राजनीति

राज की जो राजनीति करेगा, वह ज्यादा टिक न पाएगा। आखिर लकडी की हांडी को, कब तक भटठी चढाएगा,दूध से जो जला इस जग में, मट्ठा फूंक कर पीता है,जनता को बहला फुसला कर, आखिर दूर कितना जाएगा,जन सेवा नहीं जो राज करेगा, हर शाख उल्लू कहलाएगा,राज की जो राजनीति करेगा, वह ज्यादा टिक न […]

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