#32-मंजिल क्या है

ऐ पवन ! ठहर जरा, बता तेरी मंजिल क्या है? क्या तू कभी सोंचता है, तेरे भाग्य लिखा क्या है? ऐ सूरज! तू ठहर जरा, क्यों बार-बार गुजरता है तेरी मंजिल कहां छुपी है क्या सच तुझको पता है क्यों जग रोशन करता है तू बता तेरी मंजिल क्या है ऐ भौंरे रुक जा यहीं […]

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#31-पुलिस पर विश्वास

मन में दबा विश्वास आखिर झलक ही जाता है संग किसी के घटना होती दौडा दौडा पुलिस को जाता है, गुस्सा हो मन में कितना भी कितना भी वह बोले भ्रष्ट, जब सर ठीकरा फूट पडे वह आप बीती पुलिस को जा के बताता है, मन में दबा विश्वास आखिर झलक ही जाता है। समाज […]

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#30-शांत तो अच्छे

हंसते रहो तो तुम अच्छे जो बोल दिया तो जग रूठेगा चुप सहते रहो तो तुम अच्छे, कुछ बोल दिया तो जग रूठेगा। सत्य राह चलो कितना भी तुम, मूक बने सहो कितना भी, सह कर अपना अपमान जग में, दूजों का सम्मान करो कितना भी, अच्छे नहीं तुम गंदे हो जो, मुख से आह […]

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#29-ढूंढते रह जाओगे

अब की शदी में यार ढूंढते रह जाओंगे । देश भक्त और नेता सच्चा,माँ का दूध कमाऊ बच्चा,शरीफों के गले में हार,ढूंढते रह जाओगे। गुरू सच्चा शिष्य आज्ञाकारी,नेक पति पतिवृता नारी,भाई का मधुर दुलार,ढूंढते रह जाओगे। निर्मल नीर ज्ञान अरु ज्ञानी,संत महंत दान अरु दानी,अंखियां पानीदार,ढूंढते रह जाओगे। मर्द की मूँछ सास की चादर,बहू का […]

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#28 बेचैन भ्रमण

#28 बेचैन भ्रमण

  • Feb 07, 2018

अपनें मन की बातों को न समझ पाया अब तक, न कर पाया न्याय अपनें विचारों के साथ, मन का वो समन्दर हिलोरे मार रहा है यूँ, कि लगे जैसे मैं आज दुनिया को खटक रहा हूँ, मैं बेचैन हो यूँ भटक रहा हूँ। Problem with content loading Administrator will solve this problem soon… –>सम्पूर्ण […]

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