Author: jk namdeo
#54 दिल्ली दंगा
- Mar 12, 2020
काश्मीर से हटी क्या धारा तीन सौ सत्तर, भडकाकर लोगों को दिल्ली पर बरसा दिया पत्थर, जमाना बेबाक निष्ठुर ढंग से देखता रह गया, और जमाने ने जमाने को आइना दिखला दिया । घरौंदे जब आइने के बने होते हैं, शदियों से तहजीब जब कंधे ढोते हैं, संभल कर पग रखना होता है घर से […]
Read More#53 स्मृति
- Feb 21, 2020
क्यों स्मृति यूँ सताती। जग में न कोई वैरी दूजा, पल में रुलाती पल में हसाती, पल में मजबूर सोंचनें को करती, हर पल यह एहसास जताती, क्यों स्मृति यूं सताती। कहती खुद को जीनें का जरिया, झील समन्दर से भी गहरी यह दरिया, बिन घुंघरू बाजे यह झांझर, चुप रह कर भी शोर मचाती, […]
Read More#52 हिन्दुस्तान
- Jan 05, 2020
फतवे लगते हैं तो लगनें दो । मुझे गुरेज नहीं ठेकेदारों से, नहीं परवाह मुझे कौम किरदारों से, मैं हिन्दुत्व पर भी चाहे गर्व न करूं, पर परहेज नहीं भारत जय के नारों से। कुछ जन्म से कहते खुद को वासी, कुछ कहते वासी खुद को इच्छा से, मैं दिल से भारतवासी हूं, दिल गूंजता […]
Read More#51 स्वागत (welcome) 2020
- Dec 31, 2019
साल का दिन आखिरी था,खयालों में खो के बिताया है, जो साल भर संग हुआ, सोंचा क्या खोया क्या पाया है। अभी कुछ पलों के बाद, ईशवी सन नया आयेगा, दिन तीन सौ पैसठ, इसी इंतजार में बिताया है। नई सुबह जो आएगी, साल नया ले आएगी, बीत गया दो हजार उन्नीस, दो हजार बीस […]
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