Home hindi poems #45-आओ चलें प्रकृति की ओर
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#45-आओ चलें प्रकृति की ओर

आओ चलें प्रकृति की ओर।
करें दोस्ती इस प्रकृति से,
बनें सुदृढ और बनें निरोग,
शील बन्द और प्लास्टिक बोतल,
करना बंद करें प्रयोग,
देह हमारी खुद ही सक्षम,
लड लेगी उन रोगों से नित,
औषधि रसायन खाद्य रसायन
पेय रसायन से दूरी बन,
प्रकृति सुहानी राह निहारे,
बन सक्षम पकडें वह डोर,
आओ चलें प्रकृति की ओर।

प्रकृति हमारी राह बनाये,
राह दिखाये खुद राही बन,
जीत अकेला समझाए खुद,
बन हमदम चले हर पल संग,
प्रकृति को समझो खुद समझाए,
आगे चलते हांथ बढाए,
वसुधैव कुटुम्बकम सदा हंसो का
यह हमको पाठ पढाए,
संग चलेंसब संग हंसें सब,
एक धरा फैली सब ओर,
आओ चलें प्रकृति की ओर ।


–>सम्पूर्ण कविता सूची<–


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Bakhani, मेरे दिल की आवाज – मेरी कलम collection of Hindi Kavita

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Bakhani hindi kavita मेरे दिल की आवाज मेरी कलम

प्रकृति की ओर चलें Hindi poem lets move towards nature

इस हिंदी कविता के माध्यम से जागरूक करनें का एक प्रयास किया गया है। जागरूकता का महज एक ही उद्येश्य है प्रकृति की सुरक्षा तथा प्रकृत सहायक कार्य। प्रकृति को नुकशान पहुँचाने वाले कारकों को खोज कर उन्हें प्रयोग में लानें से परहेज रखना चाहिए इससे प्रकृति के समग्र विकास में सहायता प्राप्त होती है।  प्रकृति है तो इंसान है। यदि प्रकृति का दोहन इसी प्रकार होता रहा तो एक दिन दुनिया में जीवन पर गहरा संकट छा जाएगा।

Hindi Poem on nature

Poem on nature in hindi explains the way we can easily survive and maintain the nature. It shows how we can care the nature and our health.

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Author

jk namdeo

मैं समझ से परे। एकान्त वासी, अनुरागी, ऐकाकी जीवन, जिज्ञासी, मैं समझ से परे। दूजों संग संकोची, पर विश्वासी, कटु वचन संग, मृदुभाषी, मैं समझ से परे। भोगी विलासी, इक सन्यासी, परहित की रखता, इक मंसा सी मैं समझ से परे।

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