Home hindi poems #26-ऐ बेटी तू देश की
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#26-ऐ बेटी तू देश की

तुझमें सबको गर्व, फक्र से सर ऊंचा कर हम चलते हैं,
माँ की कोख से लेकर, बहन की राखी संग ले चलते हैं,
बीवी बन कर रख खयाल, तू देश को पीढी देती है,
हर रूप से हमको संभाल कर, तू न चिन्ता करती अपने वेश की,
ऐ बेटी तू देश की।

सीता से द्रोपती तक, मीरा से लक्ष्मी तक, हर रूप तूने……
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jk namdeo

मैं समझ से परे। एकान्त वासी, अनुरागी, ऐकाकी जीवन, जिज्ञासी, मैं समझ से परे। दूजों संग संकोची, पर विश्वासी, कटु वचन संग, मृदुभाषी, मैं समझ से परे। भोगी विलासी, इक सन्यासी, परहित की रखता, इक मंसा सी मैं समझ से परे।

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